म्यूचुअल फंड करोड़ों भारतीयों की पसंद बन चुके हैं। लोग उम्मीद करते हैं कि लंबी अवधि में उन्हें मजबूत रिटर्न मिलेगा। लेकिन हर साल कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जिनका प्रदर्शन बेहद कमजोर रहता है। इस साल कई फंड्स ने तो सीधा निवेशकों के पैसे घटा दिए हैं।
इस रिपोर्ट में हम उन फंड्स की बात कर रहे हैं जिन्होंने पिछले कुछ समय में सबसे कम रिटर्न दिया। यह जानकारी निवेशकों को अपनी रणनीति समय पर बदलने और बेहतर विकल्प चुनने में मदद करती है।
सैमको ELSS टैक्स सेवर फंड – सबसे कमजोर रिटर्न में शामिल
सैमको ELSS टैक्स सेवर फंड इस साल सबसे ज्यादा गिरावट वाले फंड्स में रहा। फंड ने करीब माइनस 16.40 फीसदी रिटर्न दिया।
यह गिरावट उन निवेशकों के लिए परेशान करने वाली रही जो टैक्स सेविंग के साथ अच्छा रिटर्न भी चाहते थे।
आईटी सेक्टर का दबाव – कई इंडेक्स फंड्स ने दिया डबल-डिजिट निगेटिव रिटर्न
इस साल आईटी सेक्टर काफी कमजोर रहा और इसका सीधा असर इंडेक्स फंड्स पर पड़ा।
बंधन निफ्टी आईटी इंडेक्स फंड और एक्सिस निफ्टी आईटी इंडेक्स फंड दोनों ने लगभग माइनस 14.20 फीसदी रिटर्न दिया।
कई बड़े आईटी स्टॉक्स लगातार दबाव में रहे, जिसकी वजह से पूरा सेक्टर नीचे खिंच गया।
निप्पॉन और नवी आईटी इंडेक्स फंड – लगभग समान गिरावट
निप्पॉन इंडिया निफ्टी आईटी इंडेक्स फंड और नवी निफ्टी आईटी इंडेक्स फंड ने लगभग माइनस 14 फीसदी रिटर्न दिया।
जो निवेशक टेक सेक्टर में ज्यादा एक्सपोजर रखे हुए थे, उन्हें इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर झेलना पड़ा।
स्मॉलकैप और मोमेंटम फंड्स भी कमजोर पड़े
स्मॉलकैप कैटेगरी इस साल उतनी मजबूत नहीं रही।
मिराए एसेट निफ्टी स्मॉलकैप 250 मोमेंटम क्वालिटी 100 ETF FoF ने करीब माइनस 13 फीसदी रिटर्न दिया।
मोमेंटम मॉडल फंड्स में बाजार गिरने पर तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, जो इस साल साफ नज़र आया।
DSP निफ्टी स्मॉलकैप 250 क्वालिटी 50 इंडेक्स फंड और क्वांट टेक फंड दोनों ने करीब माइनस 12.20 फीसदी रिटर्न दिया।
स्मॉलकैप शेयरों में वोलैटिलिटी जल्दी बढ़ती है, इसलिए गलत समय पर एंट्री करने से नुकसान और बढ़ जाता है।
अब जानें – फंड्स इतना नीचे क्यों गए?
निवेशकों को यह समझना जरूरी है कि आखिर कौन-सी वजहें किसी फंड को गिरावट की तरफ ले जाती हैं। दो प्रमुख पैरामीटर सबसे ज्यादा असर डालते हैं।
Beta - फंड कितना तेज़ ऊपर-नीचे होता है
Beta बताता है कि फंड, बाजार की तुलना में कितना ज्यादा हिलता-डुलता है।
अगर किसी फंड का Beta एक से कम है, तो वह कम जोखिम वाला माना जाता है।
लेकिन अगर Beta एक से ज्यादा है, तो उसमें वोलैटिलिटी काफी बढ़ जाती है और गिरावट भी ज्यादा हो सकती है।
Standard Deviation – रिटर्न कितना उछलता-कूदता है
Standard Deviation यह बताता है कि फंड का रिटर्न स्थिर है या हर महीने बहुत ज्यादा ऊपर-नीचे हो रहा है।
अगर एक फंड का स्टैंडर्ड डेविएशन 5 फीसदी है और दूसरे का 10 फीसदी, तो दूसरा फंड ज्यादा जोखिम वाला माना जाएगा।
यही कारण है कि हाई-वोलैटिलिटी वाले फंड मार्केट गिरने पर जल्दी टूट जाते हैं।
क्या करें? सिर्फ रिटर्न देखकर फंड मत चुनें
इस रिपोर्ट से यह साफ है कि सिर्फ पिछले साल का रिटर्न देखकर फंड चुन लेना सही तरीका नहीं है।
हर फंड के पीछे जोखिम, सेक्टर एक्सपोजर और मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी छिपी होती है।
इसलिए निवेशक को चाहिए कि वह फंड की स्थिरता, पिछले कुछ सालों का ट्रेंड और बाजार की स्थिति—सब देखकर ही फैसला करे।
लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न वही निवेशक पाता है जो अपनी रणनीति समय-समय पर देखता और अपडेट करता रहता है।

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